आज हम और हमारी सोच

टूट चूका हूँ बिखरना बांकी है.....
बचे कुछ एहसास जिनका जाना बांकी है...
चंद सांसें है जिनका आना बांकी है...
मौत रोज मेरे सिरहाने खड़ी हो पूछती है...
भाई आ जा अब क्या देखना बांकी है I...

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